चीनी या मिश्री, किसमें कितनी मिठास
आपकी किचन में चीनी ना हो ये तो हो ही नहीं सकता। मिठास के लिए पहली पसंद हमेशा चीनी ही होती है। मगर आपने मिश्री को भी खूब चखा होगा। आखिर दोनों की मिठास में फर्क क्या है। ये फर्क सिर्फ इनकी प्रोसेसिंग में है या इनकी मिठास पर भी शुद्ध या अशुद्ध का तमगा लगा होता है।
चीनी हो या मिश्री, दोनों में क्या अंतर...?
गन्ने से चीनी बनाते वक्त कई तरह के ब्लीज और फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इससे कई तरह के नुकसान भी सामने आते रहते हैं। मगर मिश्री शर्करा का शुद्ध रूप है। चीनी से मिश्री निकालते वक्त हानिकारक तत्व भी बाहर आ जाते हैं।
आखिर ये मिश्री बनती कैसे है
चीनी की ही तरह मिश्री को भी गन्ने के रस से प्रोसेसिंग करके ही बनाया जाता है मगर इसमें कोई कैमिकल इस्तेमाल नहीं किया जाता। शक्कर के एक प्राकृतिक रूप के तौर पर मिश्री को गन्ने के रस की सारी अशुद्धियां दूर करके तैयार किया जाता है।
धागा मिश्री या क्यूबिक क्रिस्टल्स...
हेल्थ के नजरिए से धागा मिश्री को क्यूबिकल दानों से बेहतर माना जाता है। इसकी शुरुआत पूरी तरह हिंदुस्तानी ही है। चीनी के मुकाबले कम मिठास होने पर मिश्री चीनी से कहीं ज्यादा शुद्ध और सेहतमंद मानी जाती है। तैयार होने के बाद मिश्री को अलग-अलग आकार में ढाला जाता है।
सौंफ और मिश्री के फायदे
रेस्टोरेंट्स में खाने के बाद बिल के साथ ऑल टाइम फेवरेट माउथ फ्रेशनर सौंफ मिश्री तो आपने भी खाया होगा। मगर क्या इनका कोई फायदा भी होता है...? जी हां। पेट के भारीपन से लेकर गैस्ट्रिक और डाइजेशन को दुरुस्त रखने के लिए सौंफ मिश्री का कांबिनेशन फायदेमंद साबित होता है।
गले में खराश से आजादी
गले में खराश हो तो सौंफ को चबाने का फायदा गले तक पहुंचता है। सौंफ और शहद को मिलाकर लेने से खांसी में आराम मिलता है।
कब्ज का इलाज
सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ सौंफ खाने से कब्ज नहीं होता।
खट्टी डकार से मुक्ति
मिश्री के साथ सौंफ को उबाल कर लेने से आराम मिलता है। पेट दर्द के लिए भुनी हुई सौंफ भी चबाई जा सकती है।
लूज मोशन्स में भी असरदार
लूज मोशन होने पर सौंफ के तेल में मिश्री में मिलाकर तीन बार लेने से आराम हो जाता है। गैस्ट्रिक की शिकायत होने पर दाल और सब्जी में सौंफ के छौंक से आराम मिलता है।
अजवाइन-मिश्री का अचूक ‘गुप्त’ फॉर्मूला
एक गिलास गुनगुने दूध में एक चम्मच अजवाइन पाउडर और एक चम्मच पिसी हुए मिश्री को मिलाकर पीना चाहिए। इस फॉर्मूले का काफी वक्त तक लगातार इस्तेमाल करने से शीघ्रपतन की शिकायत से काफी आराम मिलता है।
इलायची और मिश्री के फायदे
कई समाज में शादी के बाद नए-नवेले जोड़े को खाने के लिए इलायची और मिश्री खाने के लिए दी जाती है। मगर इसके पीछे मेडिकल साइंस भी अपने तर्क बताती है। ब्लड फ्लो या कम हीमोग्लोबिन के कारण पेनिस इरेक्शन की दिक्कत आने पर ये कांबिनेशन काफी फायदा कर सकता है।
कम स्पर्म मोटिलिटी में फायदेमंद
कई कारणों से कम स्पर्म मोटिलिटी या फिर इंटरकोर्स के दौरान स्पर्म के एग तक नहीं पहुंचने पर ये नुस्खा आजमाया जा सकता है। दूध के साथ अल सुबह इलायची और मिश्री का सेवन इसका कारगर इलाज माना जाता है। पोटेशियम और आयरन के बेहतरीन सोर्स होने के कारण ये रक्त का दौरा सुचारू करता है।
मिश्री के प्रकार
ताल मिश्री
मिश्री को अगर बिना किसी केमिकल के तैयार किया जाए तो इसका रंग हल्का भूरा हो जाता है। इस ताल मिश्री को इतना शुद्ध माना जाता है कि इसे 6 महीने के बच्चे को भी चखाया जा सकता है। दिलचस्प बात है कि इसे गन्ने के रस से नहीं बल्कि ताड़ या खजूर के रस से तैयार करने के कारण ताड़ मिश्री या ताल मिश्री कहा जाता है।
खनिज का खजाना ताड़ मिश्री
ताड़ मिश्री में कैल्शियम, विटामिन बी 12, आयरन और अमीनो एसिड काफी मात्रा में मिलता है। इसीलिए इसे ताल मिश्री को प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट का जबरदस्त सोर्स माना जाता है।