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  • स्तनपान करवाने के फायदे , मां का दूध बढ़ाने के कुछ घरेलू तरीके - Benefits of Breastfeeding

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    • 05 Oct,2021 06:23 PM
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  • स्तनपान  (Breast Feeding)

    आप अगर पहली बार मां बनी हैं, तो संभव है कि आपके लिए शिशु को स्तनपान कराना मुश्किल हो रहा होगा। इस दौरान नई मां से अनजाने में कुछ गलतियां भी हो सकती हैं। आपके मन में स्तनपान से जुड़े कई सवाल भी होंगे। आज हम आपको बताएंगे कि स्तनपान के दौरान मां को किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। ब्रेस्ट फीडिंग के फायदे क्या हैं और कब तक बच्चे को फीड कराना चाहिए, किस पॉजिशन में कराना चाहिए। इन सारे सवालों के जवाब आपको आज मिल जाएंगे। 

    स्तनपान (Breast Feeding) के फायदे -  Breast Milk ke fayde in Hindi


    शिशु के लिए स्तनपान हर लिहाज से बेहतर है। जिन शिशुओं को जन्म से स्तनपान कराया जाता है, उनके पहले वर्ष में बीमार होने की आशंका कम हो जाती है। स्तनपान से शिशु को निम्न प्रकार के लाभ हो सकते हैं 
    मां के दूध में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं और इसे पचाना शिशु के लिए आसान होता है।
    शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, जिस कारण आंत्रशोथ, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, कान में संक्रमण, मोटापा, एक्जिमा और डायरिया जैसी बीमारियों से बचाव होता है।
    स्तनपान से शिशु विभिन्न तरह के संक्रमण खासकर आंतों व फेफड़ों के संक्रमण से बचा रहता है।

    मां के दूध में पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जो शिशु के मस्तिष्क विकास के लिए जरूरी है।
    स्तनपान से शिशु को जरूरी बैक्टीरिया मिलते हैं, जो शिशु के पाचन तंत्र में आने वाली सूजन, दर्द या जलन से बचाते हैं।
    जो शिशु शुरुआती छह महीने तक स्तनपान करते हैं, उनके बीमार होने पर जल्द ठीक होने की संभावना ज्यादा होती है।
    मां जो कुछ भी खाती है, उससे मां के दूध का स्वाद बदल जाता है। इस कारण से शिशु को अलग-अलग स्वाद की आदत शुरू से ही पड़ जाती है। इसका फायदा यह होता है कि छह महीने के बाद जब शिशु को ठोस आहार देना शुरू किया जाता है, तो उसे खिलाना आसान हो जाता है।

    स्तनपान कराने की सही अवस्था 

    शिशु को स्तनपान करवाने के कई तरीके होते हैं। आप सभी तरह की पॉजिशन को आजमा कर देखें। फिर उस मुद्रा को चुनें, जो आपके और आपके शिशु के लिए आरामदायक हो। आप स्तनपान के लिए तकिये की मदद भी ले सकती हैं। 
        

    ब्रेस्ट फीडिंग टिप्स इन हिंदी

    पहचानें बच्चा भूखा है या नहीं 
    कैसे नवजात शिशु पेट पता करने के लिए भरा हुआ है?
    अगर शिशु अपना हाथ या आसपास का समान चाटने लगे तो समझ लिजिए वो भूखा है। 
    अगर शिशु कुछ चूसने लगे, तो भी वह भूखा हो सकता है।
    अगर शिशु आपके कंधे पर अपना सिर ऊपर नीचे करने लगे तो उसे भूख लगी है।
    अगर शिशु जोर-जोर से रोए, तो यह भी भूखे होने का संकेत हो सकता है।
    शिशु को जन्म के बाद पहले चार हफ्तों में 24 घंटे में कम से कम 8-12 बार भूख लग सकती है। इस दौरान शिशु ज्यादा सोता है, इसलिए अगर वह सो भी रहा है, तो भी हर तीन घंटे में उसे उठाकर दूध पिलाना चाहिए। पहले उसे एक तरफ से स्तनपान करवाएं। जब वह दूध पीना बंद कर दे, तो दूसरी तरफ से दूध पिलाएं। अगर वह भूखा होगा, तो दूसरी तरफ से भी स्तनपान जरूर करेगा। अमूमन शिशु एक बार में करीब 20 से 45 मिनट तक दूध पी सकता है।

    लेटकर दूध पिलाना चाहिए या नहीं
    दरअसल, बहुत माओं को ये आरामदायक लगता है और डॉक्टर इसके लिए पूरी तरह मना भी नहीं करते हैं। जिसको जिस पॉजिशन में सही लगता है वो अपने हिसाब से दूध दे सकती हैं। लेकिन ज्यादातर इस पॉजिशन में दूध ना ही पिलाएं तो बेहतर है। ये तब ही करें जब मां सीधे बैठकर अपने बच्चे को पकड़ न सके। डॉक्टरों के मुताबिक सर्जरी के 1-2 दिन बाद माओं को सीधे बैठने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और दूध पिलाने की कोशिश करने के लिए कहते हैं, ताकि फेफड़ों में दूध जाने की संभावना कम रहे। 

    बच्चे को लेटकर दूध पिलाने से क्या होता है?

    लेटकर दूध पिलाने से बचें वरना..

    लेटकर दूध पिलाने से बच्चे के फेफड़ों में दूध जाने की संभावना काफी अधिक होती है। यह शिशुओं के लिए घातक हो सकता है इसलिए, लेटकर स्तनपान की सलाह बहुत ज्यादा नहीं की जाती है। ऐसे दूध पिलाने से बच्चा दूध के साथ हवा भी ग्रहण करता है, जिससे पेट में दर्द हो सकता है और वह लगातार रोता रहता है।
    कान में संक्रमण– अगर दूध मुंह से फैल जाता है और कान की नहर या ईयर कैनाल तक पहुंच जाता है।
    दुर्घटना या मौत– अगर मां दूध पिलाते हुए सो जाए और नींद में बच्चे के शरीर पर भार पड़े।
    इसलिए अगर आप अपने बच्चे को लेटकर दूध पिलाने की योजना बना रही हैं, तो ऐसा करने से पहले इसके फायदे और नुकसान समझ लें।

     

    बच्चों को दूध कितने साल तक पिलाना चाहिए?
    6 महीने की उम्र तक मां का दूध सबसे ज्‍यादा जरूरी होता है। 6 माह तक शिशु के पोषण का एकमात्र जरिया सिर्फ मां का दूध ही होता है। इसके बाद शिशु को ठोस आहार देना शुरू किया जाता है और मां के दूध पर उसकी निर्भरता कम होती चली जाती है। कहते हैं कि एक साल की उम्र तक बच्‍चे को मां का दूध पिलाना चाहिए, लेकिन कुछ मांएं इसके बाद भी बच्‍चे को दूध पिलाना जारी रखती हैं। 

    नवजात शिशु को कितनी बार दूध पिलाना चाहिए
    बच्चे को लगभग हर घंटे या दो घंटे में मां का दूध चाहिए होता है। ऐसे में जब भी बच्चे को भूख लगे तो उसे दूध पिलाएं लेकिन इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि बच्चे को जरूरत से ज्याजा दूध न पिलाएं।

    मां का दूध क्यों है जरूरी
    मां के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्व होता है, जो बच्चों की कई हानीकारक बीमारियों से रक्षा करता है। मां के दूध में पाया जाने वाला ग्रुप बी स्ट्रेप जीवाणु नवजातों में गंभीर संक्रमण पैदा कर सकता है और शिशुओं में सेप्सिस या निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों होने का खतरा पैदा करता है। 

    मां का दूध बढ़ाने के कुछ घरेलू तरीके - दूध न आये तो क्या करे?


    पौष्टिक भोजन- अच्छा खाना खाने से मां के स्तन में दूध की मात्रा बढ़ने लगती है। शरीर में दूध उत्पादन के लिए अच्छे और पौष्टिक खानपान की बहुत आवश्यकता होती है। जौ, दलिया और दूध को खाने से भी काफी लाभ मिलता है।  


    सूखे मेवे - मां बनने के बाद जितना हो सके सूखे मेवों का सेवन करना चाहिए। काजू, बादाम, पिस्ता जैसे मेवे स्तनों में दूध की मात्रा को बढ़ाते हैं। साथ ही ये विटामिन, मिनरल और प्रोटीन से भी भरपूर होते हैं। 


    तुलसी और करेला - तुलसी को सूप या शहद के साथ खाया जा सकता है, या फिर आप इसे चाय में डाल कर भी ले सकती हैं। करेला महिलाओं में लैक्‍टेशन सही करता है। करेला बनाते वक्‍त हल्‍के मसालों का ही प्रयोग करें ताकि यह आसानी से हजम हो सके।


    सौंफ - आयुर्वेद के अनुसार सौंफ का सेवन स्तनों में दूध की कमी को दूर करने में मदद करता है। इसलिए आप स्तनों में दूध की मात्रा को ठीक करने के लिए सौंफ का सेवन कर सकती हैं।


    लहसुन - लहसुन खाने से भी दूध बनाने की क्षमता बढ़ती है। लहसुन को कच्चा खाने की बजाए उसे पकाकर खाना अधि‍क लाभप्रद होगा। अगर आप लहसुन को नियमित खाती हैं तो आपको लाभ अवश्य होगा।


    शिशु को स्तनपान कराते समय स्तन को बदलते रहना चाहिए। इससे शरीर में दूध उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही ऐसा करने से आपका बच्चा भी आराम से स्तनपान कर सकेगा



     

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