बच्चों के शरीर में कई बार खून की कमी हो जाती है और माता-पिता को पता नहीं चलता, जब तक वो स्थिति ज्यादा गंभीर न हो जाए। लड़कों की तुलना में लड़कियों में हीमोग्लोबिन का स्तर थोड़ा कम होता है। बच्चों के शरीर में खून की कमी (आइरन की कमी) के कारण होती है। ऐसा माना जाता है उन बच्चों में खून की कमी होती है जिनका जन्म वक्त से पहले हो जाता है। अगर आपके बच्चे के शरीर में खून की कमी है तो आपको इसकी जानकारी कैसे होगी। अगर आप बच्चों में ये सारे लक्षण का ध्यान रखेंगे तो आपको इसका पता चलेगा।
बच्चों में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) कम होने के लक्षण
बच्चे का रंग चाहे जो भी हो लेकिन उसके चेहरे पर लालिमा रहती है। उनका चेहरा हमेशा ग्लो करता रहता है। लेकिन जब बच्चे के शरीर में खून की कमी होती है तो उसका चेहरा लाल नहीं बल्कि सफेद दिखने लगता है।
जिन बच्चों में खून की कमी नहीं होती उनकी हथेलियां लाल रंग की होती है लेकिन जिनमें खून की कमी होती है उनकी हथेलियां भी सफेद दिखने लगती है।
बच्चे में चिड़चिड़ापन आ जाता है। छोटी-छोटी बातों पर बच्चा हर वक्त रोता रहता है। ये भी शरीर में खून की कमी के लक्षण हैं।
खून की कमी का असर बच्चे के शरीर पर पड़ता है। जैसे जिस बच्चे के शरीर में खून की कमी होती है उनका वजन सामान्य से कम रहता है। उसके शरीर का विकास तो धीमी गति से होता ही है, बच्चे की लंबाई भी नहीं बढ़ती।
बच्चो को हल्की बुखार के साथ सर्दी-जुकाम की भी समस्या रहती है।
इम्यूनिटी कम होने की वजह से बच्चा हमेशा बीमार रहने लगता है।
बच्चे के आंखों की भीतरी त्वचा, नाखून और होंठ भी सफेद दिखने लगते हैं।
जिस बच्चे में खून की कमी होती है वह खेलते वक्त जल्दी थक जाते हैं।
इन तमाम लक्षणों से आपको पता चल जाएगा कि बच्चे के शरीर में खून की कमी है। कई बार तो यह बीमारी अनुवांशिक भी होती है, यानी परिवार में अगर किसी को यह बीमारी है तो फिर बच्चे में भी यह हो सकती है। इस बीमारी का प्रभाव दिमाग पर भी पड़ता है।
हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) कम हो जाए तो क्या खाना चाहिए?
खून की कमी का इलाज
बच्चे की उम्र अगर 6 महीन से ऊपर है तो उसमें हीमोग्लोबिन की कमी को निम्न तरीके से पूरा किया जा सकता है।
हरी सब्जियां
हरी सब्जियां भी बच्चे में खून की कमी को दूर करने का बेहतर स्रोत है। बच्चे को पालक, टमाटर, लौकी समेत अन्य हरी सब्जियों का सूप बनाकर पीने को दें, लाभदायक होगा।
मुनक्का
हीमोग्लोबिन को तेजी से बढ़ाने में मुनक्का भी लाभकारी है। इसके बेहतर रिजल्ट के लिए इसे रात को ही पानी में भिगो दें। सुबह इसके पानी को छानकर बच्चे को पीने के लिए दें। किछ दिनों तक इसका सेवन करने से बच्चे में हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य हो जाती है।
अमरूद
पके हुए अमरूद का रस भी इस बामारी को दूर करने का अच्छा साधन है। अमरूद जितना अधिक पका होगा वह उतना ही ज्यादा पौष्टिक होगा। पका अमरूद खाने वालों के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी नहीं रहती है।
खजूर
हीमोग्लोबिन की कमी को पूरी करने के लिए बच्चे को दूध में इसका सिरप मिलाकर दें। क्योंकि उन्हें खजूर खिलाना मुश्किल काम है। इसलिए सिरप देना ही सही होगा।
गाजर
गाजर का जूस पीना या फिर इसका प्यूरी बनाकर सेवन करना दोनों ही फायदेमंद होगा।
केला
बच्चे को दूध के साथ मिक्स करके केला दें। इसमें मिलने वाला प्रोटीन, आयरन व खनिज शरीर में खून की वृद्धि करता है।
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सेब का जूस
सेब के छिलके को हटाकर उसका रस निकालें। इस रस में शहद मिलाकर उसका मिश्रण तैयार करें वे बच्चे को पिलाएं। सेब के जूस में लौह तत्व की मात्रा ज्यादा पाई जाती है।
अनार का जूस
अनार तो रक्त बढ़ाने का ऐसा स्रोत है कि जो बड़ों से साथ-साथ बच्चों में भी जल्द रक्त वृद्धि करता है। बच्चे को ऐसे अनार खाने को दें या फिर उसका जूस ही पीने को दें। खून बढ़ाने के लिए दोनों ही फायदेमंद साबित होता है।
टमाटर का जूस
टमाटर हीमोग्लोबिन बढ़ाने का अच्छा स्रोत है। बच्चे में खून की कमी को पूरा करने के लिए उसे रोजाना 5 से 7 चम्मच टमाटर का सूप पिलाएं।
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चुकंदर का रस
चुकंदर खून में हीमोग्लोबिन निर्माण करने और लाल रक्त कणों की सक्रियता बढ़ाने में बेहतर कारगर है। चुकंदर में आयरन के तत्व बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। बच्चे को इसका रस पीने को दें तो यह बेहद कारगर साबित होगा।
बच्चों में हीमोग्लोबिन की मात्रा कितनी होनी चाहिए ?
बच्चों में हीमोग्लोबिन 12-14 ग्राम/100 मिली. रक्त होना चाहिए। नवजात शिशुओं में हीमोग्लोबिन का स्तर 16 मिलीग्राम और उससे बड़े बच्चों में 12 से 14 मिलीग्राम तक होता है। खून में हीमोग्लोबिन की कमी को एनीमिया कहा जाता है। सामान्य तौर पर 12 मिलीग्राम से कम हीमोग्लोबिन होने पर माना जाता है कि बच्चा एनीमिक है। एनीमिक बच्चे को भूख बहुत लगती है, हर समय चिड़चिड़ाता रहता है, उसके शरीर में सुस्ती बनी रहती है और धीरे-धीरे उसका चेहरा पीला पड़ने लगता है। ज्यादा होने पर डॉक्टर से सलाह लेकर बच्चों को दवा भी देनी पड़ती है।