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  • अलसी के फायदे, नुकसान Alsi ke fayde Flax Seeds Benefits in Hindi

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    • 11 Apr,2021 11:22 AM
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    अलसी क्या हैं ?

    क्या आपको हार्ट से रिलेटेड कोई प्रॉब्लम हैं? या फिर आपका वेट, तो नहीं दिन प्रति दिन बढ़ रहा? अच्छा आपका कोलेस्ट्रॉल ठीक हैं क्या? फ़िक्र न करे, बस आप घबराइए मत, क्योंकि हम आपके लिए लेकर आये हैं इन सब का समाधान। जी हाँ, ढेर सारी प्रोब्लेम्स की एक दवा-अलसी। इसे इंग्लिश में फ्लैक्स सीड भी कहा जाता हैं। इसका इस्तेमाल, हर कोई अपनी डाइट में किसी-न-किसी रूप में जरूर शामिल करता हैं। अलसी के बीज के बारे में तो आपने बहुत बार सुना होगा आज उनके फायदे भी जान लेते हैं। अलसी के बीज को एक सुपरफूड की तरह माना गया है,जिसमें न केवल काफी सारे न्यूट्रिएंट्स होते है बल्कि ये हेल्थ के लिए भी काफी अच्छा माना गया है। लेकिन आजकल काफी लोग इसके बीज को कई तरीको से इस्तेमाल कर के नए नए फायदे खोज रहे हैं जो हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रहे हैं।आईए जानते है अलसी के कुछ फायदे 

    महिलाओं के लिए अलसी के फायदे

    -अलसी के नियमित सेवन करने से महिलाओं में स्तनों की वृद्धि होती है।

    -गर्भवती महिलाओं में स्तनों में दूध की बढ़ोतरी होती है।

    -अलसी के बीज महिलाओं में सेक्स के प्रति दिलचस्पी को जागृत करते हैं।

    -यौन अंगो में जलन और योनि में संकुचन जैसी बीमारियों के लिए तो अलसी को अचूक औषधि माना गया है।

    -मासिक धर्म से संबंधित परेशानियों में भी इसके द्वारा इलाज किया जाता है।

    -अलसी के नियमित सेवन करने से चेहरे पर भी चमक बनी रहती है।

    अलसी के फायदे पुरुषों के लिए

    -अनियमित लाइफस्टाइल और खानपान का ध्यान न रखने से पुरुषों की फर्टिलिटी पर काफी असर हुआ हैं। अलसी में एंटीओक्सिडेंटस होते है, इससे फर्टिलिटी इम्प्रूव होती है। ऐसे में अलसी खाना किसी फायदे से कम नहीं हैं।

    -अलसी की मदद से सेक्स से जुड़ी हर समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है, जैसा हम पहले भी बता चुके हैं लेकिन आपको बता दे सेक्स से जुड़ी समस्या का कारण होता हैं-पेल्विक की रक्त वाहिनी में रक्त का सही तरीके से प्रवाह ना होना। ऐसे में अलसी की नियमित सेवन से रक्त वाहिनी खुल जाती है और ये प्रॉब्लम भी ख़त्म हो जाती हैं।

    -इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होते है, यह सेक्स हारमोंस प्रोजेक्शन, एस्ट्रोजन के लेवल को बढाता है।

    -इसमे फाइटाएस्ट्रोजंस होते है, इससे सीमेन की क्वालिटी इम्प्रूव होती है।

    -इससे Testosterone हार्मोन का लेवल बैलेंस रहता है, लो लिबिडो की प्रॉब्लम दूर होती है।

    -इससे प्रोस्टेट ग्लैड के फंक्शन प्रॉपर होते है, इससे स्पर्म प्रोडक्शन इम्प्रूव होता है।

    -इसमे प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन होता है, इससे मसल्स हड्डियाँ मजबूत होती है, कमजोरी दूर होती है।

    -सुबह के समय एक चुटकी अलसी लेने से आपके शरीर में पूरे दिन ऊर्जा बनी रहती है, क्योंकि इसमें अच्छी मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिससे आप दिनभर ऊर्जावान महसूस करते हैं।

    अलसी खाने का सही समय

    फ्लैक्स सीड्स यानि अलसी विटामिन ई से भरपूर अलसी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। अगर आप सुबह-सुबह इसका सेवन कर रहे हैं तो 1 चम्मच अलसी के पाउडर को हल्के गर्म पानी के साथ लें। दिनभर में 2 चम्मच से ज्यादा अलसी का सेवन न करें। इससे आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

    खाली पेट अलसी खाने से क्या होता है?

    डायबिटीज और ब्लड शुगर की समस्या से पीड़ित लोगों के लिए अलसी का काढ़ा वरदान साबित होता है। नियमित रूप से सुबह खाली पेट असली के काढे़ के सेवन से डायबिटीज का स्तर नियंत्रित रहता है।

    थाइरॉएड में असरदार
    सुबह खाली पेट अलसी का एक कप काढ़ा हाइपोथाइरॉएड और हाइपरथाइरॉएड दोनों स्थितियों में फायदेमंद है। 

    अलसी के नुकसान

    -फाइबर, खनिज, ओमेगा 3 फैटी एसिड, एंटीऑक्सिडेंट आदि से भरपूर अलसी हेल्थ के लिए काफी अच्छी मानी गयी हैं लेकिन क्या आप जानते है इसका जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना आपको फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता हैं। "Excess Of Everything Is Bad" तो आप ने सुना ही होगा, तो बस आज इस बारे में हम आपको डिटेल में बताने जा रहे हैं।

    -researcher का कहना हैं की अगर पेशेंट इसका इस्तेमाल ज्यादा करता है और पानी कम पीता हैं तो इससे रोगी को परेशानी हो सकती हैं; क्‍योंकि इससे कब्‍ज की परेशानी हो सकती है।

    -अगर इसका अधिक मात्रा में सेवन कर लिया जाए तो इससे दस्त और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम भी हो सकता है।

    -कई लोगो के अनुसार इन बीजों के अधिक सेवन करने से एलर्जी के शिकार भी हो चुके हैं। जैसे कि लंबे समय तक सांस में रुकावट, निम्न रक्तचाप का स्तर और एनाफिलेक्सिस फ्लैक्ससीड्स की सबसे सामान्य रूप से एलर्जी की प्रतिक्रिया है। इसके अलावा पेट में दर्द और उल्टी भी हो सकती हैं।

    -जो महिलाएं अलसी का सेवन करती हैं, वे नियमित रूप से अपने मासिक धर्म चक्र में परिवर्तन का अनुभव करती हैं। पीसीओडी, गर्भाशय फाइब्रॉएड, गर्भाशय कैंसर और ओवेरिय कैंसर जैसी हार्मोन संबंधी स्थितियों का अनुभव करने वाली महिलाओं को अलसी का ज्‍यादा प्रयोग नहीं करना चाहिए। ये गड़बड़ी बांझपन पैदा कर सकती है।

    -यदि आप कोई एक्स्ट्रा दवा ले रहे हैं तो इसका इस्तेमाल करने से बचे। यह ब्‍लड को पतला करने वाली दवा और ब्‍लड शुगर दवाओं के प्रभाव को भी बदल सकती है। इसलिए अपने आहार में फ्लैक्ससीड्स शामिल करने से पहले अपने चिकित्सक से जांच करें।
     

    अलसी के फायदे बालों के लिए

    कहते है जब-जब खूबसूरती की बात आती है तो सब से पहले नाम शामिल होता हैं बालों का। क्योंकि अपनी बॉडी में बाल ही एक ऐसी पर्सनैलिटी दिखाते हैं, जो हमें और खूबसूरत बना देते हैं। इसके लिए हमारे बालों का लंबा और मजबूत होना बहुत जरूरी हैं , जिसका समाधान हैं इन फ्लेक्स सीड्स में। जी बिलकुल, अलसी के बीज आपके बालों के लिए वरदान के समान हैं।

    -अलसी के बीजों के इस्तेमाल से आपके बाल मुलायम होते हैं।  

    -अलसी के बीज बालों को लंबा और मजबूत बनाते हैं।

    -इसमें विटामिन बी होने से आपके बाल मजबूत और हेल्दी बनते हैं।

    -अपने बालों को हेल्दी बनाने के लिए आप इसके बीजों को बालों में लगा भी सकते हैं।

    -इसका तेल आपको बाजार में आसानी से मिल जाता है, आप इसके बीजों का प्रयोग हेयर मास्क के रूप में भी कर सकते हैं, इसके लिए आप स्कैल्प में अलसी के तेल लगाकर मालिश करें, इसे 15-20 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें और फिर अपने बालों को एक हर्बल शैम्पू से धो लें, इसका असर आपको एक महीने के अंदर जरूर नज़र आएगा।

    -आप एक कंडीशनर या प्री-कंडीशनिंग ऑयल के रूप में भी अलसी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।

    -बालों में रूखेपन की समस्या को भी ये आयल दूर करता हैं।

    -हेयर मास्‍क बनाने के लिए आप इसके बीजों को थोड़ा मोटा पीस लें। फिर इसमें शहद और नींबू का रस मिलाकर इसका पेस्ट बना लें।  इसके बाद आप इस हेयर मास्क को अपने बालों को पर कम से कम 30-45 मिनट तक लगाएं रखें और फिर धो लें। आप इसको हफ्ते में 1 से 2 बार जरूर करें। इससे आपके बाल कुछ ही हफ्तों में चमकदार हो जाएंगे। 

    10 ग्राम अलसी के बीजो में कौन से न्यूट्रिएंट्स होते हैं?

    - प्रोटीन- 1.9 ग्राम
    - कार्बस- 3 ग्राम
    - शुगर- 0.2 ग्राम
    -फाइबर- 2.8 ग्राम
    - फैट- 4.3 ग्राम

    अंकुरित अलसी के फायदे

    अलसी में विटामिन्स, मिनरल्स, ओमेगा-3 फैटी एसि़ड्स के अलावा भरपूर फाइबर होता है। अलसी को रात भर भिगोने से उसमें से हानिकारक फाइटिक एसिड निकल जाता है और मिनरल्स का एब्जॉर्प्शन बॉडी में अच्छी तरह होता है। इसको खाने के ढेर सारे जरिये हैं लेकिन अंकुरित अलसी स्वाद में भी अच्छी होती हैं तो चलिए जानते हैं उनको कैसे बनाया जाता हैं।
    अलसी को साफ करके रात को सोते समय पानी में भिगो दें। सुबह अलसी को 2-3 बार साफ पानी में धोकर पाँच मिनट के लिए किसी चलनी में रख दें ताकी उसका पानी निथर जाए। अब अलसी को मोटे सूती कपड़े में लपेटकर एक प्लेट में ढँककर रख दें। दूसरे दिन सुबह स्वादिष्ट व पौष्टिक अंकुरित अलसी को उपयोग में लीजिए। आप इसको सलाद की तरह भी खा सकते हैं।

    -अलसी में आमेगा -3 फैटी एसिड होता है जो काफी मायनों में आपके दिल को स्वस्थ रखने में काफी अच्छा होता है।

    -सीमित मात्रा में अलसी का सेवन, खून में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है।

    -यह शरीर के अतिरिक्त वसा को भी कम करती है, जिसे आपका वजन कम होने में सहायता मिलती है।

    -प्रतिदिन सुबह शाम एक चम्मच अलसी का सेवन आपको पूरी तरह से स्वस्थ रखने में सहायक होता है।

    भुनी अलसी के फायदे

    इससे वजन नियंत्रित, पाचन तंदुरुस्त, कैंसर, मधुमेह, कब्ज संबंधी समस्या दूर होती हैं। नियमित एक चम्मच भुनी हुई साबुत अलसी लेने से बाल, बेजान त्वचा, एलर्जी, पिंपल्स से बचा जा सकता है।

    कैसे करें अलसी का सेवन

    अलसी को हल्के आंच पर भूनकर दरदरा पीस कर सुरक्षित रखें। अब एक चम्मच की मात्रा में सुबह- शाम दाल, सब्जी या सलाद में मिलाकर सेवन करें या एक चम्मच खाकर पानी भी पी सकते हैं।  इसके अलावा नियमित अलसी के तेल का प्रयोग आप साग, सब्जी बनाने में कर सकते हैं।
    गरम पानी में डालकर अलसी के बीजों का या इसके साथ एक तिहाई भाग मुलेठी का चूर्ण मिलाकर, क्वाथ (काढ़ा) बनाया जाता है, जो रक्तातिसार और मूत्र संबंधी रोगों में उपयोगी कहा गया है।
     

    अलसी की खेती कैसे होती हैं ?  

    अलसी की फसल के लिये काली भारी एवं दोमट मिट्टियाँ उपयुक्त होती हैं। उचित जल एवं उर्वरक व्यवस्था करने पर किसी भी प्रकार की मिट्टी में अलसी की खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है। अलसी का अच्छा अंकुरण प्राप्त करने के लिये खेत भुरभुरा एवं खरपतवार रहित होना चाहिये। अतः खेत को 2-3 बार हैरो चलाकर पाटा लगाना आवश्यक है जिससे नमी संरक्षित रह सके। अलसी का दाना छोटा एवं महीन होता है, अतः अच्छे अंकुरण हेतु खेत का भुरभुरा होना अतिआवश्यक है। अलसी के उचित अंकुरण हेतु 25 से 30 सेल्सियस तापमान तथा बीज बनाते समय तापमान 15 से 20 सेल्सियस होना चाहिए।  परिपक्वन अवस्था पर उच्च तापमान, कम नमी तथा शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है। असिंचित क्षेत्रों में अक्टूबर के प्रथम पखवाडे़ तथा सिंचित क्षेत्रों में नवम्बर के प्रथम पखवाडे़ में बुवाई करनी चाहिए उतेरा खेती के लिए धान कटने के 7 दिन पूर्व बुवाई की जानी चाहिए। जल्दी बोनी करने पर अलसी की फसल को फल मक्खी एवं पाउडरी मिल्ड्यू आदि से बचाया जा सकता है।

    आपको बता दे विश्व में अलसी के उत्पादन के दृष्टिकोण से हमारे देश का तीसरा स्थान है जबकि प्रथम स्थान पर कनाडा व दूसरे स्थान पर चीन है। अलसी के कुल उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत खाद्य तेल के रूप में तथा शेष 80 प्रतिशत तेल औद्योगिक प्रयोग जैसे सूखा तेल, पेन्ट बनाने में, वारनिश, लेमिनेशन, तेल कपड़े, चमडे, छपाई की स्याही, चिपकाने, टैपिलोन साबुन आदि में किया जाता है।  इसलिए बीज उत्पादन व रेशा व तेल पर कीटों के पौधे के भाग पर निर्भर करता है। 

    भिन्न भाषाओं में अलसी के नाम

    अलसी in english-  Flax Seeds, Linseed
    अलसी in hindi-अलसी या तीसी
    अलसी in punjabi - ਅਲਸੀ
    अलसी in RUSSIAN-Льняное семя L'nyanoye semya
    अलसी in Dutch  -Lijnzaad
    अलसी inTamil-லின்சீட்  Liṉcīṭ

     

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