Hindi News Home Remedies खसखस / पोस्ता दाना क्या है और उसके क्या-क्या फायदे और नुक्सान हे जाने
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    • 02 Apr,2021 09:52 PM
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    खसखस / पोस्ता दाना क्या है

    खस या खसखस (Khus Khus) एक सुगंधित पौधा है। भारत में इत्र बनाने और ओषधि के रूप में खस का प्रयोग प्राचीन काल से हो रहा है। इसके पौधे की जड़ों का उपयोग विशेष प्रकार का पर्दा बनाने में होता है जिसे ‘खस की टट्टी’ कहते हैं। इसको ग्रीष्म ऋतु में कमरे तथा खिड़कियों पर लगाते हैं और पानी से तर रखते हैं जिससे कमरे में ठंडी तथा सुगंधित वायु आती है और कमरा ठंडा बना रहता है। प्रकंद के वाष्प आसवन से सुगंधित वाष्पशील तेल प्राप्त होता है जिसका उपयोग इत्र बनाने में होता है। फूलों की गंध को पकड़ रखने की इसमें क्षमता पर्याप्त होती है। इसके तेल से मालिश करने पर भी काफी आराम मिलता है। खसखस का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। खसखस के तेल से साबुन, इत्र आदि बनाये जाते हैं। इसके अलावा खसखस के कई फायदे और भी हैं।

    खसखस के प्रकार

    नीले खसखस – इसे यूरोपीय खसखस भी कहा जाता है, क्योंकि ये ज्यादातर ब्रेड और कन्फेक्शनरी (स्वीट एंड चॉकलेट) में देखे जाते हैं।
    सफेद खसखस – इसे भारतीय या एशियाई खसखस भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल अधिकतर व्यंजनों में किया जाता है।
    ओरिएंटल खसखस – इसे ओपियम पॉपी भी कहा जाता है, जिससे अफीम पैदा की जाती है।

    खसखस के फायदे

    -अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी में 2-4 ग्राम खसखस की जड़ को मुनक्का के साथ पीसकर पिलाएं। इससे अधिक प्यास लगने की परेशानी खत्म होती है।
    -आपको बहुत अधिक पसीना आता है तो खसखस की जड़ का बारीक चूर्ण बना लें। इसे शरीर पर लेप करें। इससे अधिक पसीना आने की समस्या का समाधान होता है।
    -अगर आपका पेट दुःख रहा है तो खसखस को चाय के साथ मिला कर पिए, इससे पेटदर्द में काफी फर्क महसूस होता हैं।
    -खसखस के प्रयोग से सूजन जैसी बीमारी में भी लाभ हो सकता है। 10-40 मिली मात्रा में खसखस का सेवन करें। इससे सूजन की समस्या ठीक हो जाती है।
    -खसखस का तेल लगाने से अनिंद्रा की समस्या से निजात मिलता हैं।
    -उल्टी पर रोक लगाने के लिए बराबर-बराबर की मात्रा में मूंग, पिप्पली, खस तथा धनिया का 5-10 ग्राम चूर्ण बना लें। इसे 6 गुना पानी में रात भर के लिए भिगो दें। सुबह छानकर पीने से पित्तज विकार के कारण होने वाली उल्टी ठीक हो जाती है।
    -3-6 ग्राम खस के चूर्ण में मधु मिलाकर चावल के धोवन के साथ पिएं। इससे पित्तज विकार की वजह से होने वाली उल्टी और अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी ठीक होती है।
    -पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए खसखस उपयोगी होता है। इसके लिए 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
    -कुष्ठ रोग में भी खसखस का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। आपको  10-40 मिली की मात्रा में खसखस की जड़ का सेवन करना है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
    -पेशाब का कम आना आदि में 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण में 5 ग्राम मिश्री मिला लें। इसका सेवन करें। इससे कम पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है। यह मूत्र के अन्य विकारों में भी लाभ देता है।
    -इसी तरह खस की जड़, ईख की जड़, कुश की जड़ तथा रक्तचंदन को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली की मात्रा में पीने से मूत्र रोग जैसे- पेशाब का रुक-रुक कर आना और पेशाब करने में दर्द आदि समस्या ठीक हो जाती है।
    -बवासीर का इलाज करने के लिए आप 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे बवासीर में लाभ मिलेगा।
    -चेचक को ठीक करने के लिए खसखस का बारीक चूर्ण बना लें। इससे शरीर पर लेप करने से चेचक की बीमारी में आराम मिलता है।
    -बुखार में लाभ पाने के लिए नागरमोथा, पित्तपापड़ा, उशीर, लालचन्दन, सुगन्धबाला तथा सोंठ की बराबर-बराबर मात्रा लें। इसका काढ़ा बना लें। इसे ठंडा करके 20-40 मिली मात्रा में सेवन करेंं। इससे बुखार और बुखार में लगने वाली प्यास की समस्या ठीक हो जाती है।
    -खसखस के पंचांग का काढ़ा बनाकर भांप देने से भी बुखार उतर जाता है।
    -आज डायबिटीज की बीमारी घर-घर की बीमारी बन गई है। डायिबटीज को नियंत्रित करने के लिए 10-40 मिली खसखस की जड़ का सेवन करें। इससे लाभ होता है।
    -शरीर की जलन से परेशानी रहते हैं तो खसखस की जड़ को पीसकर पूरे शरीर पर लगाएं। इससे शरीर की जलन शांत हो जाती है।
    -इसी तरह लालचन्दन, चन्दन, खस तथा पद्माक का काढ़ा बना लें। इसे ठंडे पानी में मिलाएं। इस पानी से नहाने पर शरीर की जलन ठीक हो जाती है।
    -कई लोगों को एनीमिया (खून की कमी की समस्या) हो जाती है। इसमें 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे खून की कमी दूर होती है।

    खसखस और अखरोट के फायदे

    -मुंह के छाले, पाचन तंत्र, दमा, अस्थमा में काफी लाभकारी होता हैं इनका सेवन।

    -खसखस और अखरोट खाने से महिलाओं को प्रेगनेंसी में फायदा मिलता हैं क्योंकि इसमें भरपुर मात्रा में कैल्शियम होता है।

    -ये दोनों दिमाग की नसे खोल देता हैं।

    -दो तीन चम्मच खसखस को 3 घंटे के लिए पानी में भिगो ले इसके साथ एक अखरोट भी भिगो ले, फिर बाद में इस में निम्भू के रस के साथ पेस्ट बना ले और फिर इस पेस्ट को खुजली वाली जगह पर लगाए, जिस से खुजली वाली जगह पर काफी लाभ मिलेगा। त्वचा संबंधित रोग से निजात मिलती हैं।

    -बालों के विकास के लीये भी ये काफी फायदेमंद होता हैं। 

    खसखस और दूध के फायदे

    -यह आपके शरीर के साथ-साथ दिमाग के लिए भी फायदेमंद है। यह न केवल आपको स्ट्रेस और डिप्रेशन से बचाता है बल्कि आपकी दिमागी क्षमता में इजाफा करता है।

    -इसमें ओमेगा 6 फैटी एसिड पाया जाता है जिससे न केवल शरीर मजबूत होता है बल्क‍ि वजन भी कंट्रोल में रहता है।

    - सर्दी में होने वाली कब्ज की समस्या के लिए खसखस बादाम का दूध बढ़िया उपाय है। इससे पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है।

    -ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए यह एक बढ़िया और स्वादिष्ट विकल्प है। इसमें मौजूद पोटेशियम ब्लडप्रेशर को कंट्रोन करने में मदद करता है।

    खसखस के नुकसान -
    खसखस आपके लिए कितना लाभकारी हो सकता है, अब तक तो आप जान गए होंगे। लेख में बताई गईं शारीरिक परेशानियों के लिए आप इसका इस्तेमाल एक औषधि के रूप में कर सकते हैं। वहीं, इसके सेवन की मात्रा का भी पूरा ध्यान रखें, क्योंकि इसकी अधिक मात्रा का सेवन लेख में बताए गए खसखस के नुकसान का कारण बन सकता है। इसका अत्यधिक सेवन करने से एलर्जी,कब्ज,मतली,सुस्ती परेशानियों का कारण बन जाती है। 
    -खसखस का प्रयोग थोड़ा सा भी ज्यादा करने से यदि आप यूरिन टेस्ट के लिए निकलते है तो इसमें पाया जाता है कि आपने ड्रग का इस्तेमाल किया हैं।
    -अगर आप शराब पीते है तो खसखस की चाय का ज्यादा सेवन आपके लिए घटक साबित हो सकता हैं।
    -अत्यधिक मात्रा में खसखस ग्रास का सेवन करने से हद से ज्यादा पेट भरा हुआ महसूस होता है। सर्दी-खांसी होने पर खसखस का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि खस की तासीर ठंडी होती है।
    -गर्भवती महिला या जो मां दूध पिलाती है वह खसखस का सेवन करने के पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लें।

    खसखस का पौधा

    खस या खसखस (Khus Khus) एक सुगंधित पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम वेटिवीरिआ जिजेनिऑयडीज (Vetiveria) है जिसकी व्युत्पत्ति तमिल के शब्द वेटिवर से हुई प्रतीत होती है। यह सुगंधित, पतले एकवर्ध्यक्ष (Racemes) का लंबे पुष्पगुच्छवाला वर्षानुवर्षी पौधा है।

    खसखस की खेती

    खसखस की खेती पूरे भारत के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। यह प्रायः सूखी पड़ी भूमि, तालाब-पोखर, झील या नदी के किनारों पर होता है। इसके साथ ही यह दक्षिण भारत, बंगाल, राजस्थान एवं छोटा नागपुर इत्यादि स्थानों में भी पाया जाता है। यह 1200 मीटर की ऊंचाई तक मिलता है।

    खसखस की कीमत

    खसखस के बारे में अनेक लोगों को अधिक जानकारी नहीं है, इसलिए शायद आप भी खसखस के फायदे के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते होंगे। खसखस का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसके तेल से भी कई फायदे होते हैं। इसलिए इसकी कीमत भी आम नहीं हैं। जी हाँ, बहुत फायदे होने के बावजूद इसकी उपलब्धि कठिन हो गई है और आजकल के टाइम के हिसाब से खसखस 250 से 500 रुपए किलो है।

    इसके साथ आप खसखस की इन रेसिपी को भी ट्राई कर सकते हैं :

    खसखस की चाय
    सामग्री :
    250 ग्राम खसखस
    तीन कप गर्म पानी
    दो बड़े चम्मच नींबू का रस
    दो लीटर की खाली बोतल (स्टील)
    कैसे बनाएं :
    खसखस को बोतल में डालें। बोतल में गर्म पानी डालें और ऊपर से नींबू का रस मिलाएं।बोतल को बंद करें और इसे लगभग 2 मिनट तक हिलाएं।अब कप में चाय को छानें और आनंद लें।

    खसखस ब्रेड
    सामग्री :
    तीन कप आटा
    डेढ़ चम्मच नमक
    बेकिंग पाउडर का डेढ़ चम्मच
    तीन बड़े चम्मच खसखस
    1 चम्मच मक्खन
    कप का एक तिहाई वनस्पति तेल
    तीन अंडे
    एक कप दूध
    ढाई कप चीनी
    डेढ़ चम्मच वनीला रस
    डेढ़ चम्मच बादाम का रस
    कैसे बनाएं :
    ओवन को 350o F पर प्रीहीट करें। पैन के अंदर बटर लगाएं। सभी सामग्रियों को पैन में डालकर मिलाएं और ओवन में रखें।एक घंटे तक बेक करें। बीच-बीच में देखते रहें कि कहीं ब्रेड जल न जाएं।

    अनेक भाषाओं में खसखस के नाम
    खसखस का वानस्पतिक नाम वेटिवेरिया जिजनियोइडिस (Vetiveria zizanioides (Linn.), Nash,  Syn-Andropogon muricatus Retz. Chrysopogon zizanioides (Linn.) Robert) है, और यह पोएसी (Poaceae) कुल से है। इसके अन्य नाम ये हैंः-
    खसखस inHindi – खस, गनरार, खस-खस, वीरन मूल, बेना
    खसखस inEnglish –  खस-खस ग्रास (Khus-khus grass) खस खस (Khus-khus), Vetiver grass (वेटीवर ग्रास)
    खसखस inSanskrit – वीरण, वीर, बहुमूलक, उशीर, नलद, सेव्य, अमृणाल, समगन्धक, जलवास
    खसखस inUrdu – खस (Khas)
    खसखस inKannada – मुडिवाल (Mudival), वेट्टीवेरू (Vettiveru)
    खसखस inGujarati – सुगन्धिवालो (Sugandivalo)
    खसखस inTelugu – कुरूवेरू (Kuruveru), वेटिट्वेरू (Vettiveru)
    खसखस inTamil -उशीरम (Ushiram), वेट्टिवेर (Vettiver)
    खसखस inBengali – वेणर मूल (Vener-mool), खसखस (Khaskhas)
    खसखस inNepali – खस (Khas)
    खसखस in Punjabi – पानी (Panni)
    खसखस in Marathi – वाला (Vala)
    खसखस in Malayalam – रमाच्हम (Ramachham)
    खसखस in Persian – खसदाना रेशा (Khusdana Resha), बीखीवाला (Bikhivala), खस (Khas);
    खसखस in Arabic – इजेखिर (Izkhir)

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