भारत देश में हर व्रत, त्योहार व शुभ तिथि को बड़े हर्षोउल्लास से मनाया जाता है। इनमें से ही एक नाग पंचमी (Naag Panchami) का पर्व है। इस दिन देशभर के लोग विशेष रूप से नाग देवता की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा व कुछ उपाय करने से मनचाहा फल मिलता है। वैसे तो हर महीने पंचमी तिथि आती है। मगर सावन महीने में पड़ने वाली शुक्ल की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह शुभ पर्व 2 अगस्त दिन मंगलवार को पड़ रहा है। सावन माह में सोमवार के साथ मंगलवार का दिन भी शुभ माना जाता है। इसदिन कुंवारी कन्याएं व सुहागिन महिलाएं माता पार्वती की मंगलागौरी रूप में पूजा करती व व्रत रखती है। ऐसे में इस बार यह त्योहार मंगलवार के दिन आने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको नाग पंचमी की पूजा विधि, उपाय व अन्य जरूरी जानकारी देते हैं...
नागपंचमी की पूजा का शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी आरंभ- 2 अगस्त 2022, दिन मंगलवार- सुबह 05:13 मिनट से
नाग पंचमी समाप्त- 3 अगस्त 2022, दिन बुधवार- सुबह 05:41 मिनट तक
पूजा का शुभ मुहूर्त 2 अगस्त 2022 सुबह 06:05 से 08:41 मिनट तक रहेगा।
नाग पंचमी पूजा विधि
इस दिन नाग देवता को दूध पिलाने की जगह मंदिर में जाकर उनका अभिषेक करना चाहिए। आप चांदी के नाग-नागिन बनवाकर उन्हें मंदिर में रखकर भी पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा नाग देवता का चित्र या इन्हें मिट्टी से बनाकर भी पूजा करना सही रहेगा। पूजा के लिए हल्दी, रोली, चावल और फूल नाग देवता को चढ़ाएं। इसके बाद नाग देवता का ध्यान करते करके धूप और दीपक जलाएं। फिर नाग पंचमी की कथा पढ़कर आरती करें। कई लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं।
इन 12 नागों की होती है पूजा
इन दिन अनन्त, वासुकि, पझ्, कम्बल, अश्वतर, धृतराष्ट्र, ककोर्टक, शड्खपाल, कालिया, तक्षय और पिड्गल नागों की पूजा करने का विधान है।
शिव जी को प्रिय है नाग देवता
महादेव का नाग देवता के साथ गहरा रिश्ता है। इसीलिए उन्होंने इन्हें अपने गले पर धारण किया हुआ है।
नाग पंचमी का महत्व
मान्यता है कि नाग पंचमी के शुभ दिन पर पूजा करने से सांपों के डरने का खतरा टल जाता है। घर-परिवार पर नाग देवता की विशेष कृपा रहती है। कुंडली में कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) से भी मुक्ति मिलती है। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर नाग देवता का चित्र लगाना भी शुभ होता है।
नाग पंचमी पर करें ये उपाय...
. कुंडली से कालसर्प योग दूर करने के लिए नाग पंचमी पर रुद्राभिषेक करें। फिर चांदी के नाग-नागिन किसी जरूरतमंद या गरीब ब्राह्माण को दान करें।
. अगर किसी की कुंडली में कालसर्प दोष है तो नासिक में बाबा त्रंयबकेश्वर मंदिर (Baba Trimbakeshwar Temple) में जाकर पूजा करवाएं। इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है।
. गले में 8,9,10 मुखी नेपाली रुद्राक्ष (Nepali Rudraksha) को धारण करें। इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
. इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को रोजाना महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) की एक माला का जाप करना चाहिए।
. ज्योतिषशास्त्र अनुसार, इस दोष से मुक्ति पाने के लिए कालसर्प दोष निवारण कवच (Kaal Sarp Dosh Nivaran Kavach) भी धारण किया जा सकता है।
. सावन महीने में रोजाना राहु-केतु के मंत्र जाप से भी कुंडली में कालसर्प दोष के प्रभाव कम हो सकते हैं।