आपने सफ़ेद साड़ी में आत्मा , परमात्मा और आत्म ज्ञान के बारे में बताते हुए ब्रह्माकुमारी बहनो को देखा और सुना होगा। देश की नव निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी उनकी तरह एक “राजगयोगिनी“ है।
शिव बाबा’ के साथ मुर्मू का एक इमोशनल कनेक्शन है
देश और दुनिया के कई देशो में अध्यात्म के ज़रिये करोडो लोगों का जीवन परिवर्तन करने के लिए काम कर रही ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से मुर्मू न केवल दिल की गहराई से जुडी हुई है बल्कि उनकी तरह एक तपस्विनी का जीवन भी जीती है और संसथान के एक की एक सक्रिय सदस्य की तरह लोगो का जीवन परिवर्तन करने का प्रयास कर रही है। इस अनूठी संस्था के निराकार ’शिव बाबा’ के साथ मुर्मू का एक इमोशनल कनेक्शन है इसका जिक्र खुद मुरमू ने कुछ साल पहले झाड़खंड की राज्यपाल रहते हुए संसथान के मुख्यालय माउंट आबू में एक कार्यक्रम के दौरान किया और अपनी तमाम उपलब्धियों का श्रेय भी शिव बाबा को दिया। आज में आपके साथ अव्यक्त मुरली क्लास में शामिल हुई हूँ में गौरवशाली समझती हूँ, बाबा ने मुझे बहुत बार बुलाया है। ....जो भी में हूँ वो बाबा की वजह से हूँ।
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मुर्मू ने अपने जीवन में देखीं 3 ट्रेजडी ।
पहले मुर्मू का का जुड़ाव भक्ति मार्ग की कई संस्थाओ से था लेकिन उन्हें आत्मिक संतुष्टि नहीं मिलती थी जो उन्हें चाहिए थी। मुर्मू 2009 में जब झाड़खंड की राज्यपाल थी तब पहली बार इस संसथान से पहली बार संपर्क में आयी. 4 साल के भीतर द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन में 3 ट्रेजडी देखीं। 2010 से 2014 के बीच द्रौपदी के 2 बेटों और पति की मौत हुई। बड़े बेटे की मौत रहस्यमयी ढंग से हुई थी। करीबियों ने बताया कि वह अपने दोस्तों के घर पार्टी में गया था। रात घर लौटा,सुबह दरवाजा खटखटाया गया तो खुला नहीं। किसी तरह दरवाजा खोला गया तो वह मरा हुआ मिला। 2 साल बाद छोटे बेटे की मौत सड़क हादसे में हो गई। द्रौपदी बड़े बेटे की मौत से टूट गई थी, वो कहती है कई महीने तक वो डिप्रेशन से उबर नहीं पाईं थीं तब उन्होंने अध्यात्म का सहारा लिया और सदमे से उबरने के लिए ध्यान का रूख किया,वो कहती है उसी ने उन्हें पहाड़ जैसे दुखों को सहने शक्ति दी
आँखों से गंगा जमना बहता था लेकिन जिंदगी जीना है आगे बढ़ना है
आँखों से गंगा जमना बहता था मुझे जिंदगी जीना है आगे बढ़ना है , शक्ति देने के लिए शांति चाहिए जो मुझे आगे ले जा सके वह की बहनो ने मुझे प्यार दिया खाना खिलाया गोदी में सुलाया में डिप्रेशन में थी आहिस्ता आहिस्ता मैंने देखा की कोई ऐसे शक्ति मुझे सहारा दे रहा था मुझे बताया गया
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मुर्मू ने राजयोगी बन ने के लिए की बड़ी कठिन तपस्या
मुर्मू ने लेकिन राजयोगी बनने के लिए बड़ी कठिन तपस्या की अपने जीवन और दिनचर्या को बदल दिया शुरुआत में उन्हें कठिनाई भी आयी लेकिन वो पीछे नहीं हटी। ब्रम्हाकुमारी बहनो के साथ उन्होंने गॉव गाँव घूम कर लोगो का जीवन बदलने के लिए प्रयास करने लगी। आपको साढ़े तीन बजे उठना ................ मोबाइल में आपको अलार्म देना है। ..यही रास्ता सही है।
ब्रम्हाकुमारी के ज्ञान को जीवन में अपनाया
रायरंगपुर स्थित द्रौपदी के घर में भी उनका पूजा का कमरा बिल्कुल वैसा ही है जैसा ब्रह्माकुमारी सेंटर का। षिवबाबा की ट्ांसलाई से निकलने वाली रोशनी का वह ध्यान करती हैं। मुर्मू कहती है वो ब्रम्हाकुमारी सेंटर में लगने वाली नियमित मुरली क्लास जाती थी और ब्रम्हाकुमारी के ज्ञान को जीवन में अपनाने से धीरे-धीरे उनका व्यक्तित्व बदलने लगा।
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पहले मैं बहुत गुस्से वाली थी
मेरा चाल चरित्र चेहरा अलग था में गुस्से वाली थी अब आहिस्ता आहिस्ता बहुत कम हो गया है। ओडिशा में जिस सेंटर पर वो जाया करती थी गवर्नर बन ने के बाद प्रोटोकॉल की वजह से उन्हें वह नियमित जाना छोड़ना पड़ा लेकिन राजयोग और ज्ञान को उन्होंने नहीं छोड़ा।
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राजभवन में भी अपनी दिनचर्या नहीं बदली
प्रोटोकॉल की वजह से में सेंटर नहीं जा पाती थी। ..ने राजभवन में भी अपनी दिनचर्या नहीं बदली और और वह भी एक आध्यात्मिक माहोल बना दिया वो कहती है की भले हो वो अपने सेंटर नहीं जा पाती लेकिन राज्यपाल बन ने के बाद उन्हें सेवा लिए देश के कई शहरो के सेंटर में जाने का मौका मिल गया। इलजम राजभवन में गयी। ......खुशनसीब समझती हूँ। ... कोई सेंटर में मुझे बुलाते है तो में न नहीं कहती ..... इसलिए बार बार जाती हूॅ अच्छा लगता है
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द्रौपदी अपने साथ हमेशा ऱखती है शिव बाबा की छोटी पुस्तिका
द्रौपदी अपने साथ हमेशा एक ट्रांसलाइट और शिव बाबा की छोटी पुस्तिका रखती हैं। ताकि कहीं दूसरी जगह जाने-आने पर भी उनका ध्यान का क्रम न टूटे। मुर्मू का कहना है ईश्वरीय सेवाओं के लिए शिव बाबा ने उन्हें खुद चुना है क्योंकि वो उनको बहुत प्यार करते है। बाबा के बच्चे कही भी रहे जंगलो में रहे अपने बच्चो को बाबा चुन लेते है मुझे पता नहीं बाबा को में कितना प्यार करती हु लेकिन बाबा मुझे बहुत प्यार करते है बाबा के बच्चे कही भी रहे अपने बाबा। मुर्मू के देश के राष्ट्रपति बन ने से ब्रम्हाकुमारी संस्थान में ख़ुशी की लहर है सस्थान का मानना है की मुर्मू के राष्ट्रपति बन ने से उनका व्यक्तित्व देश के करोडो नागरिको को नैतिक मूल्य , संस्कार और अध्यात्म के जरिये जीवन में सकारत्मक परिवर्तन लाने की प्रेरणा देगा।