होली भारत का एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है, जिसे रंगों का त्योहार भी कहा जाता है। यह हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। होली का पर्व विशेष रूप से भारत और नेपाल में मनाया जाता है, लेकिन अब यह पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गया है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं, खुशी और उत्साह के साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं। होली का धार्मिक महत्व भी है। इसे भगवान श्री कृष्ण और उनकी रानी राधा के प्रेम और नंदन गाँव में होली खेलने की परंपरा से जोड़ा जाता है। साथ ही, होली की पूजा में बुराई पर अच्छाई की विजय की भी भावना समाई रहती है, जो कि राक्षस हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के जलने के रूप में प्रतीकित होती है।
होली का त्योहार सामाजिक मेल-जोल को बढ़ावा देता है। लोग इस दिन अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे से गले मिलते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। यह दिन मित्रता, प्रेम और खुशी का प्रतीक है। ऐसे में आइए जानते हैं होली की सही तिथि और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त...
कब है होली?
द्रिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च 2025 को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होगी और अगले दिन 14 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 14 मार्च को होली मनाई जाएगी और 13 मार्च की रात्रि को होलिका दहन किया जाएगा। इस साल होलिका दहन के दिन भद्रा का भी साया रहेगा।

होलिका दहन पर भद्रा : 13 मार्च को होलिका दहन के दिन 10:35 ए एम से 11:26 पी एम तक भद्राकाल रहेगा। इस दौरान होलिका दहन करने से बचें।
होलिका दहन का मुहूर्त : पंचांग के अनुसार, 13 मार्च को देर रात 11 : 27 पीएम से लेकर 14 मार्च को 12:30 एएम तक लगभग 01 घंटा 40 मिनट तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है।
होली के दिन यह काम जरूर करें
होली के दिन संध्या बेला में भस्म लगाने से सुख-समृद्धि और आयु में वृद्धि होती है। शास्त्रोचित मत से होली में लाल, पीला व गुलाबी रंग का ही प्रयोग करना चाहिए। रंगों का पर्व होली भारतीय सनातन संस्कृति में अनुपम और अद्वितीय है। यह पर्व प्रेम तथा सौहार्द का संचार करता है।