Hindi News National तुम जैसा बन पाना ही तुम्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी.. (पत्रकार चंदन जयसवाल)
  • तुम जैसा बन पाना ही तुम्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी.. (पत्रकार चंदन जयसवाल)

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    • 24 Apr,2021 07:09 PM
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  • तुमने मुंह कुछ इस कदर फेरा है
    की अब चाहकर भी पलटना मुश्किल है
    देखी तो बहुत सी हस्ती इस दुनिया में
    लेकिन तुम्हारी सख्शियत ही कुछ अलग है

    तुम जैसा बन पाना ही तुम्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी..

    चंदन जयसवाल, मीडिया के एक ऐसे जाने माने नाम जिन्होंने अपनी खिलखिलाती मुस्कान और ठहाके दार स्वभाव के चलते सबके दिलों में एक अलग ही जगह बनाई थी। इन्हें मैं सर कहूं, दोस्त, बड़ा भाई, एडिटर, पत्रकार या एक मसीहा। ये वो इंसान थे जिन्होंने हर किसी को मुश्किल वक्त में सहारा दिया। जब जिंदगी की नांव डूबने लगती है तो सब को एक ही नाम याद आता है। आप सोच रहे होंगे मैं कैसे हर किसी के साथ उनके रिश्ते के अनुभव को साझा कर पा रही हूं। दरअसल, सर के जाने के बाद उनको जानने वाले हर एक इंसान के दिल में बस यही जज्बात उमड़ रहे हैं कि तुम क्यों चले गए। जब हर कोई साथ छोड़ देता था तब 'सर' आप ही सबसे आगे आते थे और कहते थे मैं हूं ना। जिस मीडिया इंडस्ट्री में लोग एक दूसरे को नीचे गिराने और नीचा दिखाने में ही लगे रहते हैं,वहां एक ऐसा शख्स भी था जिन्होंने हमेशा हर किसी की ऊपर उठाने में बहुत मदद की है। ऊंचे दर्जे के पत्रकार होने के बावजूद हर किसी के साथ समान व्यवहार करना उनका नेचर था। उनके बारे में क्या-क्या कहूं समझ नहीं आ रहा, क्योंकि इंसान के जाने के बाद तो हर कोई उसके बारे में अच्छा ही कहता है, लेकिन चंदन सर के बारे में ऐसा इसलिए कह पा रही हूं क्योंकि मैंने उन्हें करीब से जाना है।

    जब नोएडा जैसे शहर में मेरे पास जॉब नहीं थी तब इसी शख्स ने मुझपर सबसे ज्यादा भरोसा करके मुझे अपनी वेबसाइट का सीनियर राइटर बनाया था। हमारा रिश्ता सिर्फ चाय, कॉफी या ऑफिस की चर्चाओं तक सीमित नहीं था, हम दिल से जुडे थे। सर हमेशा कहते थे इस शहर में खुद को कभी अकेला मत समझना। 'मेरा घर है ना, कभी भी लगे तो बेझिझक आ जाना'।
    शायद ये उनका स्वाभाविक नेचर था, वे ऐसे ही हैं। अपने हर इंप्लाइज के लिए कुछ भी करते थे। उनके स्पेशल डेज को और स्पेशल बना देते थे। पूरे कोरोना काल में वे ऑफिस आए क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनकी टीम में किसी को भी कोई परेशानी हो। हर किसी की परेशानी अपने सिर पर लेकर हमेशा एक ही बात कहते थे 'मैं हूं ना, तुम लोग बिल्कुल चिंता मत करो' मैं हमेशा उनसे कहती थी कि सर मुझे इस इंडस्ट्री में काम करते हुए बहुत साल हो गए, इतने बड़े बड़े एडिटर से मिली हूं लेकिन आप जैसा एक ना मिला। जिसकी हस्ती जमीन से जुड़ी हो, पानी जैसा जिसका स्वभाव हो और अपने काम के प्रति निष्ठा हो,ऐसे अच्छे इंसान को मैं हमेशा दिल से याद करूंगी और उन जैसा थोडा भी बन जाऊं ऐसी कोशिश करूंगी।

     

    Suman

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