मां दुर्गा के चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं। वहीं इसकी अष्टमी व नवमी तिथि पर लोग कन्या पूजन करते हैं। इसके बाद ही नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है। मगर ज्योतिष व वास्तु अनुसार, कन्या में कुछ खास बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है। वर्ना मां का आशीर्वाद मिलने की जगह उनकी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। चलिए जानते हैं अष्टमी व नवमी कन्या पूजन की विधि...
सबसे पहले आपको बता दें कि इस बात अष्टमी तिथि 29 मार्च, दिन बुधवार को पड़ रही है। वहीं जो लोग नवमी पूजन करते हैं वे 30 मार्च, दिन गुरुवार को कन्या पूजन करेंगे।
कन्या पूजन में रखें इन बातों का ध्यान
. इस उम्र की हो कन्या
कन्या पूजन में 2 से 8 साल के बीच की कन्याएं होनी चाहिए। इस दौरान कम से कम 9 कन्याओं और 1 बालक को भोजन के लिए निमंत्रण दें। बालक को बटुक का अवतार माना जाता है। ऐसे में इनके बिना कन्या पूजन अधूरा सा माना जाता है। दरअसल, मां दुर्गा के साथ बटुक यानी भैरव जी की पूजा करने का विशेष महत्व है।
. कन्याओं को डांटें
वैसे तो बच्चों को कभी भी डांटना नहीं चाहिए। मगर कन्या पूजन के लिए इस बात का खास ध्यान रखें। ज्योतिषशास्त्र अनुसार, कन्या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है। ऐसे में इन्हें गुस्सा करने, जबरदस्ती भोजन खिलाने आदि से बचना चाहिए। आप उनकी थाली में उतना की डालें जितने उन्हें खाना हो।
. पहले ही दें निमंत्रण
असल में, कन्या पूजन समय में होना बेहद जरूरी है। मगर कई बार कन्या समय पर नहीं मिल पाती है। ऐसे में आप सभी कन्याओं को एक दिन पहले ही न्योता दे आए।
. भोजन जूठा न करें
इस बात का खास ध्यान रखें कि आपको प्रसाद तैयार करके खुद चखकर नहीं देखना है। इससे भोजन जूठा हो जाता है। इसके साथ ही बिना लहसुन, प्याज के सात्विक भोजन ही बनाएं। इस त्योहार में खासतौर पर पूरी, हलवा, खीर, चना आदि प्रसाद के तौर पर बनाया जाता है।
. ऐसे करें पूजा
सबसे पहले मां दुर्गा की पूजा करके उन्हें हलवा, चना और पूरी का भोग लगाएं। उसके बाद घर पर आई कन्याओं के पैर धोकर उन्हें पूर्व दिशा में मुख करके बिठाएं। फिर उन्हें हल्दी, कुमकुम से तिलक लगाएं। लाल रंग की चुनरी ओढ़े। इसके बाद सभी कन्याओं को भोजन परोसे। अपनी इच्छा अनुसार उन्हें कुछ दक्षिणा भी दें। बाद में उनके पैर छूकर आशीर्वाद दें और आदर सहित घर से विदा करें।
. ये गिफ्ट भी दे सकते हैं
आप चाहे तो कन्याओं को उनकी जरूरत का सामान भी गिफ्ट कर सकते हैं। इसके अलावा फल, श्रृंगार सामग्री, मिठाई, नारियल आदि उन्हें देकर आशीर्वाद लें। इसके बाद माता रानी का दोबारा आशीर्वाद लेकर अपना व्रत खोले और प्रसाद खाएं।