Raksha Bandhan 2022: भाई बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन , जानें कैसे हुई शुरुआत 

7/9/2022 4:37:45 PM

राखी का त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई और बहन के बीच अटूट रिश्ते का प्रतीक माना जाता है । जी हां, इस त्योहार के जरिए भाई अपनी बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करते है। इस बार राखी का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जा रहा है। राखी के दिन बहन भाई की कलाई पर राखी सजाकर  लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की मनोकामना करती है। ऐसा नहीं कि इस त्यौहार को सिर्फ भाई बहन ही मना सकते हैं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो की इस त्योहार की मर्यादा को समझते है वो इसका पालन कर सकते हैं।

रक्षाबंधन की शुरुआत कब और कैसे हुई?
भविष्य पुराण में कथा आती हैं कि युद्ध में जाने से पहले देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी शची ने  श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षा सूत्र बांधा था। इसके बाद से यह प्रथा शुरू हुई  कि जब भी कोई युद्ध में जाता है तो उसकी कलाई पर मौली या रक्षा सूत्र बांधकर उसकी पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को अपना भाई बनाकर हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए यह बंधन बांधा था और अपने बंधक पति श्रीहरि विष्णु को अपने साथ ले गई थी। वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने रक्षा सूत्र के विषय में युधिष्ठिर से कहा था कि रक्षाबंधन का त्योहार अपनी सेना के साथ मनाओ इससे पाण्डवों एवं उनकी सेना की रक्षा होगी। शास्त्रो में कहा गया है कि श्रीकृष्ण ने यह भी कहा था कि रक्षा सूत्र में अनोखी शक्ति होती है जो बड़ी से बड़ी मुश्किल से बचाती है। ।

रक्षाबंधन के दिन भाई क्या संकल्प लेता है?
यह त्यौहार भाई और बहन के बीच अटूट रिश्ते के स्नेह का पर्व है।  इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र यानि राखी बांधती है और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है। शास्त्रों अनुसार राजसूय यज्ञ के समय जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध कर दिया था तो तब उनकी अंगुली से खून बहने लगा था। इसे देखकर द्रौपदी ने  अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी अंगुली पर बांध दिया था। इस कर्म के बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को आशीर्वाद देकर कहा था कि एक दिन मैं अवश्य तुम्हारी साड़ी की कीमत अदा करूंगा। कहा जाता है कि इसी के बाद रक्षा बंधन पर बहन द्वारा राखी बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई थी।


रक्षाबंधन के दिन किसकी पूजा होती है?
रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की पूजा करती है। यह त्योहार बहन-भाई की डोर को मजबूत करता है। इस दिन बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बन्धन बांधती है, जिसे राखी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दाई कलाई में राखी बांधनी चाहिए क्योंकि शरीर के दाहिने हिस्से में नियंत्रण शक्ति भी ज्यादा होती है। दाहिने हाथ को वर्तमान जीवन के कर्मों का हाथ भी माना जाता है। वहीं भगवान भी दाहिने हाथ से किए गए दान, धर्म को भगवान स्वीकार करते हैं इसलिए दाई कलाई में राखी बांधने की परंपरा है।

रक्षाबंधन पर श्रवण कुमार की पूजा क्यों करते हैं?
नेत्रहीन माता पिता का एकमात्र पुत्र श्रवण कुमार एक बार सावन शुक्ल पूर्णिमा की रात के समय जल लाने गए थे, वहीं कहीं हिरण की ताक में दशरथ जी छुपे थे। वह उस पर बाण छोड़ने वाले थे लेकिन श्रवण ने जैसे घड़े में से पानी निकालना चाहा तो दशरथ ने पशु समझ कर श्रवण पर ही बाण छोड़ दिया, जिस कारण नेत्रहीन माता-पिता के इकलौते सहारे श्रवण की  मौत हो गई । इस बात का जब उसके माता-पिता को लगा तो वे बहुत दुखी हुए। तब दशरथ जी ने अज्ञान वश किए हुए अपराध की क्षमा याचना करते हुएमम  श्रवण के माता-पिता को आश्वासन दिया कि वे श्रावणी को श्रवण पूजा का प्रचार प्रसार करेंगे। उस दिन से संपूर्ण सनातनी श्रवण पूजा करते हैं और उक्त रक्षा सूत्र सर्वप्रथम श्रवण को अर्पित करते हैं।

इन सामग्रियों से पूरी करें रक्षा बंधन की पूजन थाली
इसके लिए सबसे पहले अपनी थाली में भाई को बांधने के लिए राखी, तिलक करने के लिए कुमकुम ,नारियल मिठाई रखे।